मंगलवार, जून 16, 2009

‘‘वैदिक मन्तव्य’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

1985 में मैंने खटीमा में राष्ट्रीय वैदिक विद्यालय की आधार-शिला रखी थी। उस समय मैंने वैदिक सामान्य ज्ञान पुस्तक के सात भाग लिखे थे।

तभी निम्न ग्यारह वैदिक मन्तव्य भी लिखे थे-

1- मन, वचन एवं कर्म में सत्य को धारण करो।

2- ईश्वर एक है। गुण तथाकर्मों के अनुसार उसके अनेक नाम हैं।

3- मन व मस्तिष्क शान्त होने पर ही चित्त एकाग्र होता है, तभी ईश्वर की प्रार्थना उपासना करनी चाहिए।

4- माता-पिता, गुरूजनों एवं धर्मग्रन्थों का सदैव आदर करो।

5- परस्पर सद्-व्यवहार करो, सच्चरित्र बनो तथा ईश्या-द्वेष से अपने को दूर रखो।

6- भाग्य पर भरोसा कायर करते हैं। ईश्वर केवल कर्मशील व्यक्तियों की सहायता करता है।

7- मांस, मदिरा, तम्बाकू आदि का कभी भी सेवन न करो।

8- दीन-दुखियों की सहायता करो तथा जीवों पर दया करो।

9- परिवार के सभी सदस्यों को प्यार करो और उन्हें सन्मार्ग की ओर प्रेरित करो।

10-कुछ समय अपने लिए भी निकालो। अपने को देखो, अपने को जानो।

11- सुनो सबकी, अपने विवेक से कार्य करो।

5 टिप्‍पणियां:

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