tag:blogger.com,1999:blog-1664026311363064103.post592285844038739727..comments2023-11-05T15:13:17.761+05:30Comments on मयंक की डायरी: "संस्कृति एवं सभ्यता----2" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'http://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1664026311363064103.post-11904434516346651352009-12-28T13:10:55.873+05:302009-12-28T13:10:55.873+05:30सुंदर उपदेशसुंदर उपदेशअजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1664026311363064103.post-55878660511727733402009-12-27T12:12:37.347+05:302009-12-27T12:12:37.347+05:30मयंक जी आपकी गंभीर लेखनी ने कमाल किया है ........इ...मयंक जी आपकी गंभीर लेखनी ने कमाल किया है ........इतने गंभीर विषय पर इतना सहज और मनोहारी लेखन ........धन्यवाद!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1664026311363064103.post-70689065093212470392009-12-26T12:38:02.132+05:302009-12-26T12:38:02.132+05:30ek sargarbhit lekh..........dan ke mahattva ko dar...ek sargarbhit lekh..........dan ke mahattva ko darshata hua.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1664026311363064103.post-62022011740348443332009-12-25T18:05:14.830+05:302009-12-25T18:05:14.830+05:30पंडितजी दान दक्षिणा पहले के जमाने में सही थी पर आज...पंडितजी दान दक्षिणा पहले के जमाने में सही थी पर आज उसी दान और दक्षिणा का नाजायज फायदा उठाकर भिखारियों का गंग बनता जा रहा है बचों को चुरा कर उनके अंग विक्षिप्त करके भीख मांगने बिठा दिया जाता है !! अगर कोई कुछ दे ही ना तो ये गंग क्यों बनेंगे ! दान भी पात्र को देख कर देना उचित है ! किसी को हमने दान दिया उसी दान के पैसे से किसी ने मद्यपान किया और असामजिक कार्य को अंजाम दिया तो उसका दोष हमारे मत्थे ही आना है!!! हाँ अगर निस्वार्थ भाव से पशुओं की सेवा हो| वो बिलकुल उचित है!!! इसी दान प्रवर्ती के चलते लाखों बंगलादेशी झुग्गी झोंपड़ी बनाकर भारत में गुजर बसर कर रहे हैं और धीरे धीरे अपना विस्तार करते हैं | आसाम के हर प्रांत में जहां पहले बिहारी रिक्शा चालक थे आज एक भी रिक्शा चालक बिहारी नहीं सब बँगला देशी हैं! मन माना किराया वसूलते हैं बारिश के वक्त किसी को नहीं बिठाते खाली जाना मंजूर होता है !! ऐसे में जी तो बहुत जलता है पर कर कुछ नहीं सकते क्यूंकि कमजोरी हमारी हैं! पहले भीख दे कर आश्रय दिया अब ये सर चढ़कर बोलने लगे !!! यहाँ तक की आसाम बंद का ऐलान भी करते हैं !! आपका अगर आसाम जाने का काम पड़े तो जो भी बिखारी देखेंगे तो बँगला देशी ही मिलेगा !!! कृपया इसे गलत ना लेवें मेरे मन के विचार थे सो मैंने कह दिए !! अपने आप की बोर्ड पर उंगलियाँ चलती गई वरना इतनी लम्बी टिपण्णी देने का इरादा नहीं था!!Murari Pareekhttps://www.blogger.com/profile/16625386303622227470noreply@blogger.com