शुक्रवार, फ़रवरी 04, 2011

"बधाई देने चिट्ठा जगत आ गया है" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक")

मित्रों!
आज 4 फरवरी है! जन्म दिन है यह मेरा। लेकिन वास्तविक नहीं है। 
4 फरवरी का जन्म दिन मुझे मेरे स्कूल के सबसे पहले अध्यापक ने दिया है। उन्होंने अभिलेखों में जो अंकित कर दिया उसे ही मेरे साथ-साथ पूरी दुनिया ने स्वीकार कर लिया है!
आज से 54 साल पुरानी बात रही होगी। मेरे पिता श्री घासीराम आर्य जी मुझे उस समय नगर पालिका नजीबाबाद के मुहल्ला रम्पुरा में प्राईमरी पाठशाला में लेकर गये थे! मेरे प्रथम गुरू अब्दुल कय्यूम उस समय इस स्कूल के हैडमास्टर थे! 
उन्होंने पिता जी से कहा- "इस बालक की जन्म तिथि क्या लिख दूँ?" 
पिता जी ने उत्तर दिया- "आगे पढ़ाई में आयु की कोई समस्या न आये इस लिए अपने हिसाब से लिख दीजिए।"
मेरी आयु उस समय 6 वर्ष से अधिक की रही होगी, मगर मास्टर साहिब ने हिसाब लगा कर मेरी उम्र 5 वर्ष लिख दी और तब से मेरी जन्म तिथि 4 फरवरी हो गयी जो आज तक बरकरार है।
मुझे अपनी वास्तविक जन्म तिथि का 1982 तक कोई ज्ञान नहीं था मगर माता जी के बताने पर भारतीय मास, दिनवार और जन्म समय का ही पता लगता था। सन् का तो उन्हें कोई स्मरण नहीं था।
घटना 1982 की है उस समय मैं हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग का स्थायी समिति का सदस्य था और बैठक में भाग लेने के लिए इलाहाबाद गया हुआ था। संयोग से उस दिन 4 फरवरी का ही दिन था। बैठक के पश्चात मैं माघमेला घूमने के लिए संगम तट पर गया।

मुझे पुस्तकों का शुरू से ही शौक रहा है। अतः एक बुक स्टॉल पर कुछ किताबें देखने लगा। वहाँ पर मुझे शताब्दी पंचांग की एक मोटी पोथी भी दिखाई दी। उस समय उसकी कीमत 500 रुपये थी। जो मेरे बजट से काफी अधिक थी मगर मन में ललक थी कि अपना असली जन्मदिन जानकर ही रहूँगा।
मन को मजबूत करके मैंने वह पंचांग खरीद लिया और अपनी वास्तविक जन्मतिथि खोज ही ली। लेकिन मैं यह रहस्योदघाटन कभी नहीं करूँगा कि मेरी वास्तविक जन्मतिथि क्या है?
इसका कारण यह है कि मैं अपने प्रथम गुरू मरहूम अब्दुल कय्यूम का आज भी बहुत सम्मान करता हूँ और मैं उन जन्नतनशीं गुरूदेव का लिखा हुआ अपना जन्मदिवस कभी स्वप्न में भी बदलने का विचार नहीं करूँगा।
चिट्ठाजगत
इसे भी संयोग ही कहा जाएगा कि हिन्दी चिट्ठों का प्रमुख एग्रीगेटर चिट्ठाजगत भी इस अवसर पर मुझे शुभकामनाएँ देने आ गया है।

11 टिप्‍पणियां:

  1. अज तो आपको दोहरी दोहरी बधाईयाँ एक सरकारी जन्म दिन की दूसरी चिठा जगत के वापिस आने की। शुभकामनाउएं।

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  2. प्रणाम
    पंडित जी,
    जन्म दिवस की असीम शुभकामनाएं।

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  3. आदरणीय शास्त्री जी सबसे पहले तो आपको जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामना... आपका जन्मदिन ही नहीं आज से ३०-३५ वर्ष पहले अधिकांश के जन्मदिन स्कूल में दाखिल होने के बाद ही तय होते थे ...कम से कम गाँव में तो यही हाल था ... आपने वास्तविक जन्मदिन की खोजबीन करने के बाद भी इसी तिथि को मानकर अपने प्रथम गुरू मरहूम अब्दुल कय्यूम जी का सम्मान रखने का निर्णय किया है यह जानकार बहुत ख़ुशी हुयी, आखिर गुरु से बढ़कर कोई कैसे हो सकता है .......

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  4. जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएँ.

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  5. जनमदिन की हार्दिक शुभकामनायें बेहद सुन्दर संस्मरण के साथ्……………आपकी गुरुनिष्ठा अति उत्तम है।

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  6. जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  7. जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं, लेकिन अभी भी चिट्ठा जगत पूर्ण रूप से कार्य नहीं कर रहा है !

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  8. कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
    माफ़ी चाहता हूँ

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